नेशनल बुक ट्र्स्ट,
नई दिल्ली,2009
National Book trust
New Delhi, 2009
“मीरां:मुक्ति की साधिका” में मीरा कांत ने भक्त कवयित्री मीरां बाई की पिष्ट पेषित रूढ़िवादी भक्त प्रवण छवि को तोड़कर उन्हें मुक्ति की साधिका के रूप मे स्थापित करने का सफल प्रयास किया है। स्त्री मुक्ति आंदोलन की उन्नायिका के रूप में भक्त कवयित्री के व्यक्तित्व का ताना-बाना बुनकर इन्होंने मध्यकालीन नारी मुक्ति संवेदना की थाह ली है। मीरा कांत द्वारा सम्पादित इस पुस्तक में मीरां बाई के अब तक उपलब्ध प्रामाणिक पदों को वर्गीकृत रूप में संकलित किया गया है।
साहित्य अकादेमी के तत्वावधान में 28 -30 अप्रैल 2012 में श्रीनगर ,कश्मीर में 'भारतीय साहित्य की संत कवयित्रियाँ ' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में ' मीरांबाई का काव्य : सत्ता के प्रति विद्रोह का आधार बीज ' नामक लेख प्रस्तुत किया ।
प्रकाशन विभाग,
भारत सरकार ,2002
Publication Division,
Govt.Of India, 2002
प्राय: रहस्यवादी घोषित की जाने वाली महादेवी वर्मा के प्रखर पत्रकार रूप को सामने लाने का भी मीरा कांत उद्यम कर रही हैं। उनका एक लम्बा शोधपरक लेख 'असंभव समय की आत्मसंभवा संपादिका: महादेवी वर्मा, एम. ए.’ नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा डा. चंद्रा सदायत के सम्पादन में प्रकाशित पुस्तक 'लेखिकाओं की दृष्टि में महादेवी वर्मा' का हिस्सा है।
RESEARCH
क्लासिकल पब्लिशिंग कम्पनी,
नई दिल्ली,1994
Classical Publishing Company
New Delhi, 1994
इस शोध- ग्रंथ में अंतरराष्ट्रीय महिला वर्ष और दशक (1974 -1985) के परिप्रेक्ष्य में स्त्री की
बनती-बिगड़ती तस्वीर को कुछ हटकर, कुछ रुख़ बदलकर देखने का प्रयास किया गया है। इस रूप में यह इस समयावधि की सामाजिक-राजनीतिक संस्कृति पर भी टिप्पणी है क्योंकि किसी भी युग में स्त्री के दर्जे का अध्ययन पूरे समाज पर टिप्पणी का काम करता है।
हिन्दी की पत्र-पत्रिकाओं में इन ग्यारह वर्षों में प्रकाशित लेखों, संपादकीयों, निबंधों, ख़बरों, व्यंग्य-चित्रों आदि के विषय-विश्लेषण में इसी कोण से युग के उल्लेखनीय योगदान को आंका गया है।
इन ग्यारह वर्षों की पत्रकारिता को पृष्ठाधार प्रदान करने वाली लगभग एक शताब्दी पुरानी हिन्दी पत्रकारिता और उसमें स्त्री के बदलते चेहरे का अध्ययन भी इस पुस्तक का विषय रहा है।
यह पुस्तक उस यात्रा के मील के पत्थर से पहचान कराती है जिसमें हिन्दी पत्रकारिता ने अंतरराष्ट्रीय महिला दशक के आलोक में स्त्री को अगोचर से गोचर बनाने की भूमिका निभाई।